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Sunday, December 05, 2021

फसल अवशेषों को उपयोग करने के तरीके

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फसल अवशेषों का प्रबन्ध कर जमीन में जीवांश पदार्थकी मात्रा में वृद्धि कर जमीन की उर्वरता बनाये रखें।.
• कृषक भाई आधुनिक कृषि यन्त्रों जैसे सुपर स्ट्रामैनेजमेन्ट सिस्टम्, स्क्वायर बेलर/रैक्टंगुलर बेलर, पैडीस्ट्राचापर/मल्चर, श्रब मास्टर/कटर-कम स्प्रेडरहाईड्रोलिक रिवर्सिबलर एम.बी.प्लाऊ, रोटरी स्लैशरआदि का प्रयोग करें।
• वर्तमान में इस कार्य के लिये रोटरी स्लैशर, मल्चरआदि से खेत को तैयार करते समय एक बार में हीफसल अवशेषों को बारीक टुकड़ों में काट करमिट्टी में मिलाना काफी आसान हो गया है।
• धान के बाद अवशेष ठूढ वाले खेत में नमी होने कीस्थिति में सीधे जीरो टिल सीड ड्रिल, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर मशीन से बुवाई कर सकते हैं। धान केतूद कुछ दिन बाद भूमि में सड़कर खाद बन जाते है |
• वेस्ट डीकम्पोजर साल्यूशनः फसल की कटाई के बादखेत में बचे डंठल व अन्य अवशेषों पर छिड़कावकरने से फसल अवशेष की स्वस्थानिक कम्पोस्टिंगहो जाती है।
• फसल अवशेषों से कम्पोस्ट तैयार कर खेत में प्रयोगकरें। उन क्षेत्रों में जहां चारे की कमी नहीं होती वहांमक्का की कड़वी व धान की पुआल को खेत मे ढेरबनाकर खुला छोड़ने के बजाय गड्ढों में कम्पोस्टबनाकर उपयोग करना आवश्यक है।
• जब किसान भाई खरीफ, रबी, जायद की फसलों कीकटाई मड़ाई करते हैं तो जड़, तना, पत्तियां के रुपोंमें पादप अवशेष भूमि के अन्दर एवं भूमि में ऊपरउपलब्ध होते हैं। इनको लगभग 20 किग्रा यूरिया प्रतिएकड़ की दर से मिट्टी पलटने वाले हल सेजुताई/पलेवा के समय मिला देने से पादप अवशेषलगभग बीस से तीस दिन के भीतर जमीन में सड़जाते हैं, जिससे मृदा में कार्बनिक पदार्थों एवं अन्यतत्वों की बढ़ोत्तरी होती है जिसके फलस्वरुप फसलोंके उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
• अत: प्रदेश के कृषकों से अनुरोध है कि किसी भी फसलके अवशेष को जलायें नहीं बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा मेंमिलायें/सड़ाये।
फसल अवशेष न जलायें, बल्कि इनसे लाभउठायें
• फसलों की कम्बाइन आदि यन्त्रों से कटाई के उपरान्त बचेफसल अवशेष अत्यंत उपयोगी हैं।
• इनमें महत्वपूर्ण कार्बनिक पदार्थ तथा पोषक तत्व होते हैं।
• इनसे पोषक कार्बनिक खाद तैयार की जा सकती है।
• फसल अवशेषो से बायोकोल, बायो सी0एन0जी0 तथाबायो एथेनाल का व्यवसायिक उत्पादन किया जा सकताहै।
फसल अवशेष के लाभ
• फसल अवशेषों से कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट खादबनाकर प्रयोग करने से खेत की उर्वरता में वृद्धि होती है ।
• भूमि में लाभदायक जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है।
• खेत की मृदा की भौतिक एवं रासायनिक संरचना सुधरतीहै।
• भूमि में जल धारण एवं वायुसंचार क्षमता बढ़ती है।
• फसल अवशेषों की मल्चिंग करने से खरपतवार कम होतेहै तथा जल का वाष्पोत्सर्जन कम होता है।
फसल अवशेष जलाने से हानि
• फसलो के अवशेषों को जलाने से उनके जड़, तना,पत्तियों के लाभदायक पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं।
• फसल अवशेषों को जलाने से मृदा ताप में वृद्धि होती हैजिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविकदशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
• पादप अवशेषों में लाभदायक मित्र कीट जलकर मर जातेमेंहै, जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
• पशुओं के चारे की व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ताहै।
• फसल अवशेषों को जलाने से किसानों की नजदीकीफसलों में और आबादी में आग लगने की संभावना बनीरहती है।
• वायु प्रदूषण से अनेक बीमारियां तथा धुंध के कारणदुर्घटनाए हो सकती हैं।

फसल अवशेष जलाना दण्डनीय अपराधघोषित
• कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से कम होने की दशा मेंअर्थ दण्ड रु. 2500/- प्रति घटना।
• कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़तक होने की दशा में अर्थदण्ड रु. 5000/- प्रति घटना।
• कृषि भूमि का क्षेत्र 05 एकड़ से अधिक होने की दशा मेंअर्थदण्ड रु. 15000/- प्रति घटना।
• कम्बाइन हार्वेस्टिग मशीन का SMS (सुपर स्ट्रा मैनेजमेंटसिस्टम), मल्चर, जीरो टिल सीड ड्रिल, सुपर सीडर,हैप्पी सीडर, रीपर के बिना प्रयोग प्रतिबन्धित कर दियागया है।
• कृषि अपशिष्ट के जलाये जाने की पुनरावृत्ति होने कीदशा में (लगातार दो घटनायें होने की दशा में) सम्बन्धितकृषकों को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओंतथा सब्सिडी आदि से वंचित किये जाने की कार्यवाही केनिर्देश राष्ट्रीय हरित अधिकरण नई दिल्ली द्वारा दिये गये हैं। sabhar krishi vibhag up

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