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Tuesday, March 30, 2010

धिगरी मसरूम का घरो में उत्पादन

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मसरूम या खुम्भ एक पौष्टीक तथा खाने योग्य कवक है इसमे २० - ३० % सुलभ प्रोटीन एवं लेयूसीन तथा ट्रिप्टोफेन नमक दुर्लभ अमीनो अम्ल पाए जाते है प्रोटीन के अलावा विटामीन सी व बी काफी मात्रा में होता है इसमे सर्करा व स्टार्च न होने के कारण मदुमेह एवं मोटापे के रोगीयों के लिए बरदान है ब्यवासायीक दृष्टी से भारत में तीन प्रकार के मसरूम का उतपादन किया जाता है जिसमे धीगरी मसरूम या प्लुरोताश कहते है इसे सितम्बर से मद्य अप्रैल में २० - २८ डिगरी सेटीग्रेट तापमान पर उगाया जा सकता है जिसकी आद्रता ८० से ८५ प्रतिसत तक हो इसे सेलुलोलोज युक्त पदार्थ जैसे गेहूं जौ बाजरा मक्का आदि किसी एक का भूसा लकड़ी का बुरादा रदी कागज़ आदि पर उगाया जा सकता है इसमे भूसा को स्वच्छ पानी में रात भर भिगो दे अगली सुबह अतरिक्त पानी निकाल दे इसे फफुदीनासक तथा फर्मीलीन का प्रयोग करके रोगाणु मुक्त करले इसके लिए १० ग्राम बबीस्तीन ५० यम यल फर्मीलीन को १०० लीटर पानी में दाल कार उपचार करने वाले भूसे को डूबायें भूसे को उपचारित करने के बाद ४० -६० ग्राम स्पान प्रती किलो भूसा चार परतों में में मिलाएं यदि ताप मान कम है तो स्पान की मात्रा २५ % तक बड़ा ले इसे छिद्र युक्त पोलीथीनो में जिनका आकार ४५ गुने ३० आकार की थैलियों में भरें दो तिहाई भरने के बाद इसके मुह को बांध दे इन थैलियो को अँधेरे हवादार स्थान या झोपणी में रख दे चार सप्ताह में मसरूम की फसल तैयार हो जाती है पहली कटाई करने के के बाद हल्का पानी का छिड़काव करना चाहिये १०-१२ दीं बाद दोसरी फसल तैयार हो जारी है सामान्यतः १ किलोग्राम मसरूम तैयार करने में २० रुपया का खरचा आता है १०० रू की दर से बेच कर ५ गुना मुनाफा कमाया जासकता है

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Friday, February 19, 2010

कृषि और रोजगार ब्लॉग में स्वागत

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