Wednesday, June 22, 2022
*फसल संबंधित सलाह डॉक्टर ए के सिंह
0Saturday, June 18, 2022
Friday, June 03, 2022
आम के बाग लगाने के पूर्व जानने योग्य प्रमुख बातें
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Friday, May 27, 2022
ड्रैगन फ्रूट (फल) की खेती से लाभ कमाएं
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Monday, January 24, 2022
खीरे का निर्यात बढ़ा
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पहले खीरा और ककड़ी जैसी फसलों की खेती एक खास सीजन में ही होती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में उन्नत किस्मों के बीज और पॉली हाउस जैसे माध्यमों की मदद से अब सालभर खीरा और ककड़ी की खेती होती है। तभी तो भारत दुनिया में ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार भारत ने अप्रैल-अक्टूबर (2020-21) के दौरान 114 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य के साथ 1,23,846 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरे का निर्यात किया है। भारत ने पिछले वित्तीय वर्ष में कृषि प्रसंस्कृत उत्पाद के निर्यात का 200 मिलियन अमरीकी डालर का आंकड़ा पार कर लिया है, इसे खीरे के अचार बनाने के तौर पर वैश्विक स्तर पर गेरकिंस या कॉर्निचन्स के रूप में जाना जाता है। 2020-21 में, भारत ने 223 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य के साथ 2,23,515 मीट्रिक टन ककड़ी और खीरे का निर्यात किया था। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत वाणिज्य विभाग के निर्देशों का पालन करते हुए, कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने बुनियादी ढांचे के विकास, वैश्विक बाजार में उत्पाद को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के पालन में कई पहल की हैं। खीरे को दो श्रेणियों ककड़ी और खीरे के तहत निर्यात किया जाता है जिन्हें सिरका या एसिटिक एसिड के माध्यम से तैयार और संरक्षित किया जाता है, ककड़ी और खीरे को अनंतिम रूप से संरक्षित किया जाता है। सबसे पहले कर्नाटक से हुई थी निर्यात की शुरूआत खीरे की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात की शुरूआत भारत में 1990 के दशक में कर्नाटक में एक छोटे से स्तर के साथ हुई थी और बाद में इसका शुभारंभ पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी हुआ। विश्व की खीरा आवश्यकता का लगभग 15% उत्पादन भारत में होता है। खीरे को वर्तमान में 20 से अधिक देशों को निर्यात किया जाता है, जिसमें प्रमुख गंतव्य उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश और महासागरीय देश जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका और इजराइल हैं। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए 65000 एकड़ में होती है खीरे की खेती अपनी निर्यात क्षमता के अलावा, खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में, अनुबंध खेती के तहत लगभग 90,000 छोटे और सीमांत किसानों द्वारा 65,000 एकड़ के वार्षिक उत्पादन क्षेत्र के साथ खीरे की खेती की जाती है। प्रसंस्कृत खीरे को औद्योगिक कच्चे माल के रूप में और खाने के लिए तैयार करके जारों में थोक में निर्यात किया जाता है। थोक उत्पादन के मामले में एक उच्च प्रतिशत का अभी भी खीरा बाजार पर कब्जा है। भारत में ड्रम और रेडी-टू-ईट उपभोक्ता पैक में खीरा का उत्पादन और निर्यात करने वाली लगभग 51 प्रमुख कंपनियां हैं। एपीडा ने प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह बुनियादी ढांचे के विकास और संसाधित खीरे की गुणवत्ता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। औसतन, एक खीरा किसान प्रति फसल 4 मीट्रिक टन प्रति एकड़ का उत्पादन करता है और 40,000 रुपये की शुद्ध आय के साथ लगभग 80,000 रुपये कमाता है। खीरे में 90 दिन की फसल होती है और किसान वार्षिक रूप से दो फसल लेते हैं। विदेशी खरीदारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए गए हैं। सभी खीरा उत्पादन और निर्यात कंपनियां या तो आईएसओ, बीआरसी, आईएफएस, एफएसएससी 22000 प्रमाणित और एचएसीसीपी प्रमाणित हैं या सभी प्रमाणपत्र रखती हैं। कई कंपनियों ने सोशल ऑडिट को अपनाया है। यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को सभी वैधानिक लाभ दिए जाएं।
Sabhar :https://www.gaonconnection.com/desh/which-states-maximum-farmers-get-the-benefit-of-msp-it-is-not-haryana-or-punjab-48592?infinitescroll=1
Wednesday, January 19, 2022
केंचुआ खाद तैयार करने की विधि
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- जिस कचरे से खाद तैयार की जाना है उसमे से कांच, पत्थर, धातु के टुकड़े अलग करना आवश्यक हैं।
- केचुँआ को आधा अपघटित सेन्द्रित पदार्थ खाने को दिया जाता है।
- भूमि के ऊपर नर्सरी बेड तैयार करें, बेड को लकड़ी से हल्के से पीटकर पक्का व समतल बना लें।
- इस तह पर 6-7 से0मी0 (2-3 इंच) मोटी बालू रेत या बजरी की तह बिछायें।
- बालू रेत की इस तह पर 6 इंच मोटी दोमट मिट्टी की तह बिछायें। दोमट मिट्टी न मिलने पर काली मिट्टी में रॉक पाऊडर पत्थर की खदान का बारीक चूरा मिलाकर बिछायें।
- इस पर आसानी से अपघटित हो सकने वाले सेन्द्रिय पदार्थ की (नारीयल की बूछ, गन्ने के पत्ते, ज्वार के डंठल एवं अन्य) दो इंच मोटी सतह बनाई जावे।
- इसके ऊपर 2-3 इंच पकी हुई गोबर खाद डाली जावे।
- केचुँओं को डालने के उपरान्त इसके ऊपर गोबर, पत्ती आदि की 6 से 8 इंच की सतह बनाई जावे। अब इसे मोटी टाट् पट्टी से ढांक दिया जावे।
- झारे से टाट पट्टी पर आवश्यकतानुसार प्रतिदिन पानी छिड़कते रहे, ताकि 45 से 50 प्रतिशत नमी बनी रहे। अधिक नमी/गीलापन रहने से हवा अवरूद्ध हो जावेगी और सूक्ष्म जीवाणु तथा केचुएं कार्य नहीं कर पायेगे और केचुएं मर भी सकते है।
- नर्सरी बेड का तापमान 25 से 30 डिग्री सेन्टीग्रेड होना चाहिए।
- नर्सरी बेड में गोबर की खाद कड़क हो गयी हो या ढेले बन गये हो तो इसे हाथ से तोड़ते रहना चाहिये, सप्ताह में एक बार नर्सरी बेड का कचरा ऊपर नीचे करना चाहिये।
- 30 दिन बाद छोटे छोटे केंचुए दिखना शुरू हो जावेंगे।
- 31 वें दिन इस बेड पर कूड़े-कचरे की 2 इंच मोटी तह बिछायें और उसे नम करें।
- इसके बाद हर सप्ताह दो बार कूडे-कचरे की तह पर तह बिछाएं। बॉयोमास की तह पर पानी छिड़क कर नम करते रहें।
- 3-4 तह बिछाने के 2-3 दिन बाद उसे हल्के से ऊपर नीचे कर देवें और नमी बनाए रखें।
- 42 दिन बाद पानी छिड़कना बंद कर दें।
- इस पद्धति से डेढ़ माह में खाद तैयार हो जाता है यह चाय के पाउडर जैसा दिखता है तथा इसमें मिट्टी के समान सोंधी गंध होती है।
- खाद निकालने तथा खाद के छोटे-छोटे ढेर बना देवे। जिससे केचुँए, खाद की निचली सतह में रह जावे।
- खाद हाथ से अलग करे। गैती, कुदाली, खुरपी आदि का प्रयोग न करें।
- केंचुए पर्याप्त बढ़ गए होंगे आधे केंचुओं से पुनः वही प्रक्रिया दोहरायें और शेष आधे से नया नर्सरी बेड बनाकर खाद बनाएं। इस प्रकार हर 50-60 दिन बाद केंचुए की संख्या के अनुसार एक दो नये बेड बनाए जा सकते हैं और खाद आवश्यक मात्रा में बनाया जा सकता है।
- नर्सरी को तेज धूप और वर्षा से बचाने के लिये घास-फूस का शेड बनाना आवश्यक है। sabhar vikipidia
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