डॉ एसके सिंह प्रोफेसर , प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं एसोसिएट डायरेक्टर रिसर्च डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा ,समस्तीपुर, बिहार-848 125 sksraupusa@gmail.com/sksingh@rpcau.ac.in उत्तर भारत में आम के बाग़ को लगाने का सर्वोत्तम समय जून के अंतिम सप्ताह से लेकर सितम्बर माह तक है , लेकिन इसकी तैयारी मई -जून से ही शुरू कर देते है .आम के बाग की स्थापना एक दीर्घकालिक निवेश है; इसलिए उचित योजना और लेआउट एक प्रमुख भूमिका निभाता है। यदि आप आम का बाग लगाना चाहते है तो आप को बाग लगाने से पूर्व निम्नलिखित बातों को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए यथा..... 1. साइट चयन आम के लगाने की जगह ( साइट) को मुख्य सड़क और बाजार के पास होना चाहिए क्योंकि इसमे लगने वाली विभिन्न जैसे खाद , उर्वरक एवं पेस्टीसाइड की समय पर खरीद और फसल की समय पर विक्री के लिए पास होना चाहिए। आम की वृद्धि और उत्पादन के लिए उचित सिंचाई की सुविधा, उपयुक्त जलवायु और अच्छी मिट्टी का होना आवश्यक है। 2. क्षेत्र की तैयारी गहरी जुताई के पश्चात हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा एवम् खरपतवार को एकत्र कर लेते है। भूमि को अच्छी तरह से समतल किया जाना चाहिए और अधिक वर्षा के पानी की उचित सिंचाई और जल निकासी के लिए एक दिशा में हल्का ढलान प्रदान किया जाता है। 3. लेआउट और रोपण दूरी यह पौधों को सामान्य विकास के लिए पर्याप्त स्थान प्रदान करता है, उचित परस्पर संचालन की अनुमति देता है और हवा और सूरज की रोशनी के पर्याप्त मार्ग प्रदान करता है। रोपण की दूरी मिट्टी की प्रकृति, सैपलिंग प्रकार (ग्राफ्ट्स / सीडलिंग) और विविधता की शक्ति जैसे कारकों पर निर्भर करती है। खराब मिट्टी का पौधा धीरे-धीरे बढ़ता है और भारी मिट्टी में, पौधे बौने रह जाते हैं, कम जगह की आवश्यकता होती है। लंबी प्रजाति के आम(मालदा या लंगड़ा, चौसा, फजली)को 12m × 12 के अंतर पर लगाई जाती है बौनी प्रजाति के आम (दशहरी, नीलम, तोतापुरी और बॉम्बे ग्रीन) को 10 मीटर × 10 मीटर की दूरी पर लगाए गए डबल रो हेज सिस्टम: (5 मी × 5 मी) × 10 मी: 220 पौधे प्रति हेक्टेयर (बौनी किस्में)। बौनी किस्म: आम्रपाली 2.5m × 2.5 m (1600 पौधे / हेक्टेयर) में लगाया जाता है 4. गड्ढे तैयार करना गड्ढे का आकार मिट्टी के प्रकार पर निर्भर करता है। यदि हार्ड पैन आधे मीटर की गहराई में है, तो गड्ढे का आकार 1मीटर × 1मीटर × 1मीटर होना चाहिए यदि मिट्टी उपजाऊ है और हार्ड पैन नहीं है, तो गड्ढे का आकार 30 सेमी × 30 सेमी × 30 सेमी होना चाहिए। गड्ढे वाली मिट्टी के ऊपरी आधे हिस्से और निचली आधी मिट्टी को अलग-अलग रखा जाता है और अच्छी तरह से सड़ी कम्पोस्ट 50 किग्रा, सुपर फॉस्फेट सिंगल (SSP) 100 ग्रा और मुइरेट ऑफ़ पोटाश ( एमओपी) 100 ग्रा के साथ मिलाया जाता है। गड्ढे मई -जून के गर्मियों के दौरान खोद कर 2-4 सप्ताह के लिए छोड़ देते है जिससे मिट्टी सूरज के संपर्क में आते हैं और नीचे मिट्टी एवं शीर्ष के मिट्टी के मिश्रण से भर दिए जाते हैं। भरने के बाद गड्ढों की अच्छी तरह से सिंचाई की जाती है। 5. रोपण का समय उत्तर भारत और पूर्वी भारत में जून से सितंबर
Friday, June 03, 2022
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