विश्व में केला उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है उपयुक्त जलवायु तापक्रम 15 से 35 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त भूमि जीवांश युक्त दोमट जिस का पीएच मान 6.5 से 8 हो भूमि की तैयारी भूमि की गहरी जुताई करके हेलो चलाकर मिट्टी को भुरभुरी कर पाटा चलाएं गड्ढे का आकार एवं रोपड़ की दूरी गड्ढे का आकार 60 * 60 * 60 सेंटीमीटर रखा जाता है स्तुति दूरी 1.8× 1.8 मीटर पर गड्ढा गड्ढा खोदकर उसे मिट्टी और गोबर की सड़ी खाद से मिश्रण से भर प्रति हेक्टेयर 3086 पौधे लग जाते हैं खाद एवं उर्वरक पतिगड्डा चार से पांच किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई खाद डालें प्रति गड्ढा दो सौ ग्राम नीम की खली डालें 10 ग्राम फोरेट
अथवा 10 ग्राम थीमेट का प्रयोग करें केले हेतु 200 ग्राम नाइट्रोजन 100 ग्राम फास्फोरस 300 ग्राम पोटाश के प्रति पौधे आवश्यकता पड़ती है उन्नत प्रजातियां टिशु कल्चर कल्चर की केले की प्रमुख किस्में है ग्रैंड नैन एवं रॉबस्टा पौधे की तैयारी किसी प्रमाणित संस्थान से टिशू कल्चर पौधे जो नेट हाउस में बड़ी और अनुकूलित की गई हो का प्रयोग करना चाहिए रोपाई का समय 15 जून से 15 जुलाई से 15 अगस्त तक कर सकते हैं रोपाई की विधि 1 पॉइंट 8 * 1.8 मीटर की दूरी पर खुद एवं भरे गड्ढे को ठोको टिशु कल्चर रिपोर्ट की पॉलिथीन काटकर लगाकर खिंचाई करने रोपाई के 1 सप्ताह बाद कार्बेंडाजिम या कैप्टन का 2 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर पौधों की ड्रेसिंग जोड़ों के पास मिट्टी में पानी पानी डालना कर दें रेटिंग के 1 सप्ताह बाद बैक्टीरियल संक्रमण से पौधों को बचाने हेतु स्ट्रिपोसाइक्लिन का 500 मिलीग्राम प्रति लीटर का पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव कर दें सिंचाई रोपाई के 4 दिन बाद हल्की सिंचाई करें फिर आवश्यकता अनुसार 5 से 10 दिन के अंतर पर विचार करें और वर्क प्रयोग अवश्य करें ड्रिप सिंचाई आदर्श विधि है गुड़ाई 8 से 10 की आवश्यकता होती है
फूल की तू ड़ाई एवं सहारा देना kele ka gear निकलते समय बाद तथा लकड़ी की कैंची बनाकर पौधों के दोनों तरफ से सहारा देना चाहिए फल टिकाऊ हो जाने पर केला घर के अगले भाग पर लटकते नर फूल के गुच्छे को काट देना चाहिए
कटाई का विवरण जब फलियों की चारों धारियां तिकोनी न रहकर गोलाई लेकर पीली होने लगे उसमें तेज औजार से केला घर को काट लेना चाहिए प्रति पौधा 25 से 30 किलोग्राम केला प्राप्त होता है
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vigyan kee samachaar ke liye dekhe