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Saturday, July 15, 2023

कृषि लागत कम करने की मुहिम, माइक्रो इरीगेशन में कवर हुआ 60.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र

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 कृषि लागत कम करने की मुहिम, माइक्रो इरीगेशन में कवर हुआ 60.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र

👉🏻 मोदी सरकार सिंचाई के तौर-तरीके बदलने की मुहिम में जुट गई है. इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई यानी माइक्रो इरीगेशन (Micro irrigation) पर जोर दिया जा रहा है. ताकि कृषि लागत कम हो और उत्पादकता में वृद्धि हो सके. इसके तहत पिछले सात साल में 60.63 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर कर लिया गया है. सरकार ने अगले पांच साल में सिंचाई की इस पद्धति के तहत 100 लाख हेक्टेयर भूमि कवर करने का लक्ष्य रखा है. आगामी वित्त वर्ष में कुल 20 लाख हेक्टेयर जमीन इसके तहत कवर की जाएगी. 👉🏻 केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की प्रति बूंद अधिक फसल (Per Drop More Crop) मुहिम के तहत वर्ष 2014-15 से 2020-21 तक राज्यों को 15,511.59 करोड़ की केंद्रीय सहायता जारी की गई. वर्ष 2018-19 के दौरान नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ की प्रारंभिक पूंजी के साथ माइक्रो इरीगेशन फंड (MIF) बनाया गया है. इसे प्रमोट करने के लिए 2021-22 के बजट में इसका फंड बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. नई सिंचाई पद्धति पर क्यों है जोर? 👉🏻 माइक्रो इरीगेशन के तीन प्रमुख लाभ हैं, जिसकी वजह से मोदी सरकार का इस पर जोर है. पहला इस पद्धति में पारंपरिक के मुकाबले काफी कम पानी लगता है. दूसरा, ऊर्जा व खादों पर खर्च कम हो जाता है और तीसरा उत्पादकता में इजाफा हो जाता है. सरकार खासतौर पर पानी की कमी को देखते हुए अब सिंचाई का पैटर्न बदलना चाहती है. कितनी होगी बचत 👉🏻 माइक्रो इरिगेशन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से 48 फीसदी तक पानी की बचत (Save Water) का दावा विशेषज्ञ करते हैं. ऊर्जा की खपत में भी कमी आएगी. इस प्रणाली का ढांचा एक बार तैयार हो गया तो इसमें मजदूरी घट जाएगी. नई पद्धति से ही पानी के साथ फर्टिलाइजर का घोल मिला देने से 20 फीसदी तक की बचत होगी. उत्पादन में इजाफा होगा. सूक्ष्म सिंचाई में ड्रिप इरिगेशन, माइक्रो स्प्रिंकल (सूक्ष्म फव्वारा), लोकलाइज इरिगेशन (पौधे की जड़ को पानी देना) आदि तरीके हैं. पारंपरिक सिंचाई से नुकसान 👉🏻 कृषि क्षेत्र में 85 से 90 फीसदी तक पानी की खपत होती है, जबकि देश के कई हिस्सों में पानी की बहुत किल्लत है. खेत में पानी भर देने (flood irrigation) वाली पद्धति से पानी और पैसा दोनों का खर्च ज्यादा होता है. यही नहीं इससे मिट्टी में डाली गई खाद भी नीचे चली जाती है. इसलिए किसानों का नुकसान होता है और उत्पादकता कम हो जाती है. Sabhar agrostar

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Monday, July 10, 2023

ड्रोन की मदद से दवा का छिड़काव

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 फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों में दवा का छिड़काव करते हैं जिसमें काफी समय लगता है और जोखिम भी रहता है। लेकिन अब किसान इस पुरानी परंपरा को छोड़कर नई तकनीक अपना रहे हैं। अब ड्रोन की मदद से दवा का छिड़काव किया जा रहा है।

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Saturday, July 08, 2023

टमाटर क्यों महंगा हो रहा है

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आजकल टमाटर क्यों महंगा हो रहा है क्या कारण है देखे बीबीसी की एक रिपोर्ट

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Sunday, July 02, 2023

3 करोड़ रुपये किलो! दुनिया के सबसे महंगे टमाटर के बीज (Tomato Seeds)

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आज कर देश में टमाटर के आम आसमान छू रहे हैं. 60 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब 100 से 150 रुपये में बिक रहा है. लेकिन यहां हम आपको दुनिया के सबसे महंगे टमाटर के बीज (Tomato Seeds) के बारे में बता रहे हैं. ये बीज 3 करोड़ रुपये किलो बिकते हैं. आइये जानते हैं कि इस टमाटर के बीज मेें क्या खासियत है. हफ्तेभर पहले 60 रुपये किलो बिकने वाला टमाटर अब 100 से 150 रुपये में बिक रहा है. दिल्ली में केवल एक किलो टमाटर 80 से 100 रुपये में मिल रहा है. टमाटर की बात करें तो क्या आप जानते हैं कि हेजेरा जेनेटिक्स ऐसे टमाटर के बीज बेचता है जो सोने से भी अधिक महंगे हैं? उनके स्पेशल समर सन टमाटर के बीज यूरोपीय बाजार में वास्तव में आश्चर्यजनक कीमतों के साथ हाई डिमांड में हैं. इन बेहद महंगे टमाटर के बीजों के एक किलोग्राम पैकेट की कीमत लगभग 3 करोड़ रुपये है. इतने पैसे से आप आसानी से पांच किलोग्राम सोना खरीद सकते हैं. 1 बीज से 20 किलो टमाटर दरअसल, टमाटर की इस विशेष किस्म का प्रत्येक बीज बीस किलोग्राम तक टमाटर पैदा कर सकता है. जो बात इस टमाटर को अलग करती है वह यह है कि यह बीज रहित है, जिससे किसानों को हर फसल के लिए नए बीज खरीदने पड़ते हैं. एक बार खा लिया तो बार-बार खाने के मन करेगा अधिक लागत के बावजूद, ये टमाटर अपने असाधारण स्वाद के लिए जाने जाते हैं. एक बार जब कोई उनके स्वाद का अनुभव कर लेता है, तो उन्हें बार-बार उसे खाने का मन होता है. आम टमाटर इस अनूठी किस्म के टमाटर की कीमत की तुलना में काफी सस्ते हैं. हाजेरा सर्वोत्तम टमाटर के बीजों को तैयार करने के लिए समर्पित है. इस टारगेट को प्राप्त करने के लिए, हेजेरा रिसर्च, प्रोडक्शन, प्रोसेसिंग और क्वालिटी में अपनी दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने को प्राथमिकता देता है, जिससे उसके ग्राहकों और कर्मचारियों दोनों को फायदा होगा. sabhar aajtak.in

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अपर मुख्य सचिव गन्ना सेवा निवृत हुए

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लोक प्रिय गन्ना आयुक्त और अपर मुख्य सचिव सेवा निवृत हुए इन्होने गन्ना विकाश गन्ने के विकास चीनी उत्पादन और ऑनलाइन विभाग को कराए
प्रमुख सचिव खाद्य रसद वीना कुमारी मीणा को प्रमुख सचिव गन्ना एवं आबकारी बनाया गया साथ ही महिला कल्याण का अतिरिक्त प्रभार भी , अपर मुख्य सचिव संजय भुसरेड्डी के रिटायरमेंट के चलते शासन में हुए फेरबदल, प्रमुख सचिव खाद्य एवं रसद विभाग का अतिरिक्त प्रभार प्रमुख सचिव नियोजन आलोक कुमार को ...प्रभु नारायण सिंह को मिली गन्ना आयुक्त की जिम्मेदारी ...जीएस नवीन कुमार बने प्रभारी राहत आयुक्त

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Wednesday, June 28, 2023

घनाजीवामृत के प्रयोग

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आज की जीवन शैली में रसायनिक खादों एवं कीटनाशकों के अधिक उपयोग से भूमि बंजर हो रही है जिससे मृदा का जीवांश कार्बन निम्न स्तर पर जा रहा है। इसलिए आज के समय में जरूरी हो गया है। कि हम घनजीवामृत का उपयोग कर फिर से | अपनी मिट्टी की सेहत सुधारें और प्राकृतिक | खेती के प्रयोग से फसलोत्पादन करें। घनजीवामृत एक अत्यन्त प्रभावशाली जीवाणुयुक्त सूखी खाद है जिसे देशी गाय के गोबर में कुछ अन्य चीजें मिलाकर बनाया जाता है। घनजीवामृत को बोआई के समय खेत में पानी देने के 3 दिन बाद प्रयोग कर सकते हैं। घनजीवामृत बनाने की विधिः घनजीवामृत बनाने के लिए 100 किग्रा० देशी गाय के गोबर को किसी पक्के फर्श पर फेलायें। अब 2 किग्रा० देशी गुड़, 2किग्रा बेसन और सजीव मिट्टी का मिश्रण बनाकर अब थोड़ा-2 गौ मूत्र डालकर अच्छी तरह गूंथ लेंगे जिससे उसका घनजीवामृत बन जायेगा। अब इस तरह तैयार मिश्रण को छाया में 48 घण्टों के लिए अच्छी तरह सुखाकर बोरे से ढक देते हैं। 48 घण्टे बाद | इस मिश्रण का चूर्ण बनाकर भण्डारित कर लेते हैं। घनजीवामृत को 6 महीने तक प्रयोग कर सकते है। घनजीवामृत बनाने के लिए आवश्यक सामग्रीः सामग्री देशी गाय का गोबर देशी गाय का गौमूत्र गुड़ बेसन मिट्टी (बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी मात्रा 100 किग्रा० 05 ली० 2 किग्रा 2 किग्रा० 1 किग्रा० घनाजीवामृत का प्रयोगः घनजीवामृत का उपयोग किसी भी फसल में कर सकते हैं, घनजीवामृत का उपयोग बहुत ही आसान है इसके प्रयोग के लिए प्रति एकड़ 100 किग्रा० सूखा देशी गाय के गोबर की खाद के साथ 20 किग्राम घनजीवामृत बोवाई के समय खेत में डालते हैं। घनजीवामृत का उपयोग खेत में पानी देने के 3 दिन बाद भी कर सकते हैं। घनजीवामृत से लाभ: ● घनजीवामृत के प्रयोग से किसान रसायनिक खेती की अपेक्षा अधिक फसल उत्पादन ले सकते हैं। घनजीवामृत से बीजों का अंकुरण अधिक मात्रा में होता है । घनजीवामृत के उपयोग से फसलों के दानों की चमक और स्वाद दोनों ही बढ़ते है।

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Sunday, June 25, 2023

Mandaliy Kisan goshti stal in Banda agriculture uni

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