#खास खस एक बारहमासी कम सिचित जमीन पर उगने वाली घास है । प्राचीन काल में बंजर भूमि और खेतों की मेंड़ और बंधों मे लगायी जाती थी। एक बार लगा देने के बाद सालोंसाल उगती रहती थी। जिसकी अब खेती इत्र में इस्तेमाल होने वाले व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण आवश्यक तेल के उत्पादन के लिए की जाती है। खस में सुगंधित तेल इसकी जडों में होता है। ऊपर की हरी घास सूख जाने पर जमीन अंदर जड़ें सुरक्षित रहती है। इन्ही से आसवन विधि से सुगंधित तेल निकाला जाता है।
खस में ठंडक देने वाले गुण होते हैं और इसका उपयोग गर्मियों के दौरान शर्बत या स्वादिष्ट पेय तैयार करने के लिए किया जाता है। यह जड़ी बूटी ओमेगा फैटी एसिड, विटामिन, प्रोटीन, खनिज और आहार फाइबर का एक अच्छा स्रोत है।
खस पाचन में सुधार करने में मदद करता है क्योंकि इसमें आहारीय फाइबर की मात्रा अधिक होती है। खस की जड़ का काढ़ा कुछ दिनों तक लेने से इसके सूजनरोधी गुण के कारण आमवाती दर्द और जकड़न को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। खस चूर्ण का सेवन इसके एंटीडायबिटिक गुण के कारण इंसुलिन स्राव को बढ़ाकर मधुमेह को प्रबंधित करने में मदद करता है।
खस अपने एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण त्वचा के लिए भी अच्छा है। खास तेल का सामयिक अनुप्रयोग त्वचा पर मुँहासे के निशान और निशान को ठीक करने में मदद करता है। यह तैलीय त्वचा को प्रबंधित करने में भी मदद करता है और खिंचाव के निशान के गठन को रोकता है। इसके अलावा, खस तेल का उपयोग कीट नाशक और कीट विकर्षक के रूप में भी किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, खस आवश्यक तेल को खोपड़ी और बालों पर लगाने से बालों के झड़ने को नियंत्रित करने में मदद मिलती है और बालों के विकास को बढ़ावा मिलता है। ऐसा इसके स्निग्धा (तैलीय) गुण के कारण होता है जो बालों से अत्यधिक रूखापन दूर करता है।
खांसी और सर्दी के दौरान खस से परहेज करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसके सीत (ठंडा) गुण के कारण श्वसन मार्ग में बलगम का निर्माण और संचय हो सकता है जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। साभार फेस बुक वॉल
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vigyan kee samachaar ke liye dekhe