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इस कीट की सुंडी अवस्था ही हानि पहुंचाती है। यह कीट पूरे वर्ष में 4 से 5 पीढ़ियां पाई जाती हैं। इसे किसान कन्फ्ररहा, गोफ का सूखना आदि नामों से जानते हैं।
*कीट की पहचान -* इसका प्रौढ़ कीट चांदी जैसे सफेद रंग का होता है तथा मादा कीट के उदर भाग के अंतिम खंड पर हल्के गुलाबी रंग के बालों का गुच्छा पाया जाता है। इस कीट की सुंडी हल्के पीले रंग की होती है, जिस पर कोई धारी नहीं होती है।
*हानियां -* इस कीट की मादा सुंडी पौधों की दूसरी या तीसरी पत्ती की निचली सतह पर मध्य शिरा के पास समूह में अंडे देती है। इसकी सुंडी पत्ती की मध्य शिरा से प्रवेश कर गोंफ़ तक पहुंच जाती है तथा पौधे के वृद्धि वाले स्थान को खाकर नष्ट कर देती है,जिससे कि गन्ने की बढ़वार रुक जाती है। प्रभावित पौधे की गॉफ छोटी तथा कत्थई रंग की हो जाती है, जो कि खींचने पर आसानी से नहीं निकलती है। गन्ने की पत्ती की मध्य शिरा पर लालधारी का निशान तथा गॉफ़ के किनारे की पत्तियों पर गोल छर्रे जैसा छेद पाया जाता है। इस कीट की प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी के आपतन से गन्ने के पौधे पूर्ण रूप से सूख जाते हैं तथा तृतीय पीढ़ी से पौधों की बढ़वार रुक जाने के कारण उपज पर विपरीत प्रभाव पड़ता है व पौधों की लंबाई कम हो जाती है। इस कीट के आपतन से 20 से 35 प्रतिशत तक हानि होती है। इस कीट की तीसरी एवं चौथी पीढ़ी के आपतन से गन्ने में बंची टॉप का निर्माण हो जाता है।
*जीवन चक्र-* मादा अपने जीवन काल में 250 से 300 अंडे कई अंड समूह में देती है। जिनकी संख्या 6 से 70 तक रहती है। इस कीट का अंड काल 6 से 8 दिन, सुंडी काल 36 से 40 दिन, एवं प्यूपा काल 8 से 10 दिन तक रहता है तथा जीवन काल 53 से 65 दिन तक रहता है।
*पीढ़ियां-
प्रथम - मार्च से अप्रैल तक
द्वितीय - मई के द्वितीय सप्ताह से जून के द्वितीय सप्ताह तक
तृतीय - जून के तृतीय सप्ताह से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक
चतुर्थ - अगस्त के प्रथम सप्ताह से मध्य सितंबर तक
पंचम - मध्य सितंबर से फरवरी के अंतिम सप्ताह तक।
*नियंत्रण -* 1- प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी से प्रभावित पौधों को सुंडी सहित पतली खुर्पी की सहायता से जमीन की गहराई से काट कर खेत से निकाल कर नष्ट कर देना चाहिए।
2- प्रथम एवं द्वितीय पीढ़ी को नियंत्रण के लिए फरवरी - मार्च में गन्ना बुवाई के समय कीट नाशक वर्टोको 5 से 7 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से कुड़ों में प्रयोग करना चाहिए।
3- कीटनाशक वार्टको 5 से 7 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से जून के अंतिम सप्ताह से जुलाई के प्रथम सप्ताह तक तृतीय पीढ़ी के लिए पर्याप्त नमी की दशा में पौधों की जड़ों के पास प्रयोग करना चाहिए।
4 - 150 ML कोराजन 400 लीटर पानी में घोल बनाकर दूसरी एवं तीसरी पीढ़ी के लिए मई के अंतिम सप्ताह से जून के प्रथम सप्ताह में जड़ों के पास डेचिंग करें तथा 24 घंटे के अंदर खेत की सिंचाई अवश्य कर दें। बीके शुक्ला अपर गन्ना आयुक्त गन्ना एवं चीनी विभाग उत्तर प्रदेश सरकार
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vigyan kee samachaar ke liye dekhe