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Saturday, November 03, 2018

बैगन की जानकारी

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बैगन का जन्म स्थान भारत है यह सोलेनेसी कुल का पौधा हैं इसकी खेती सब्जी के रूप में की जाती है बैगन का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता है सफ़ेद बैगन मदुमेह में लाभकारी है 
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Wednesday, 23 Aug, 9.02 am

वैज्ञानिक तरीके से करे बैंगन की खेती

बैंगन की खेती भारत और चीन में ज्यादा की जाती है. ऊंचे पहाड़ि इलाकों को छोड़कर पुरे देश में इसकी खेती की जा सकती है. क्यों की भारत की जलवायु गर्म होती है और ये began ki kheti के लिए उपयुक्त रहती है. बैंगन की बहुत सारी किस्में होती है. में कुछ विशेष किस्मों के बारे में यहाँ पर बताउगा जो hiybird है. और अच्छा उत्पादन देने वाली होती है. पूसा hibird 5 इसमे पौधा बड़ा और अच्छी शाखाओं युक्त होता है. ये फसल 80 से 90 दिनों आ जाती है. प्रति हेक्टेयर 450 से 600 क्विंटल होती है. पूसाhibird 6 गोल फल लगते है. 85 से 90 दिनों की औसत प्रति हेक्टेयर 500 से 600 क्विंटल पूसा hibird 9 85 से 90 दिनों में फल लगते है. औसत 400 से 500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर इसके अलावा पूसा क्रांति,पूसा भैरव,पूसा बिंदु,पूसा उत्तम ,पूसा उपकार,पूसा अंकुर, जो की प्रति हेक्टेयर 200 से 400 क्विंटल तक उत्पादन देते है.  margin: 0px; padding: 0px; font-family: inherit; border: none;">कैसे करें नर्सरी तैयार नर्सरी तैयार करने के लिए खेत की मिट्टी को अच्छे से देसी खाद् (गोबर) को मिट्टी की सतह पर बिखेर कर फिर जुताई करे. (अपने खेत की मिट्टी का परीक्षण अवश्य करावे ताकि उचित मात्रा में खाद् दे सके) जुताई होने के बाद उठी हुई क्यारियां बना ले फिर एक हेक्टेयर के लिए hibird बीज 400 ग्राम तक काफी होता है. बनी हुई क्यारियों में 1 से.मी. की गहराई में 6 से 7 सेमी. की दूरी पर बीजो को डाल दे. फिर उसे पर्याप्त मात्रा में पानी देते रहे . कब करे बुआई उसे तो इस फसल को पुरे वर्ष में सभी ऋतुओ में लगाया जा सकता है. लेकिन में आपको माह से बता देता है. नर्सरी मई जून में करने पर बुआई 1 या डेढ़ माह में यानि जून या जुलाई तक कर सकते है. जो नर्सरी नवम्बर में लगाते है उसे जनवरी में शीत लहर और पाले का प्रकोप से बचा कर लगा सकते है. जो नर्सरी फरवरी और मार्च में लगाते है उसे मार्च लास्ट और अप्रैल तक की जा सकती है. कैसे करे खेत तैयार नर्सरी में पौधे तैयार होने के बाद दूसरा महत्वपूर्ण कार्य होता है खेत को तैयार करना . मिट्टी परीक्षण करने के बाद खेत में एक हेक्टेयर के लिए 4 से 5 ट्रॉली पक्का हुआ गोबर का खाद् बिखेर दे.उसके बाद 2 बेग यूरिया 3 बेग सिंगल सुपर फास्फेट और पोटेशियम सल्फ़ेट की मात्रा ले कर जुताई करे. फिर खेत में 70 सेमी. की दूरी पर क्यारियां बना लीजिए अब पोधों को 60×60 सेमी. या 60×50 में पोधों की रोपाई करे. बैंगन की फसल में लगने वाले रोग  none;">नर्सरी में लगने वाले रोग आद्रगलन(डम्पिंगऑफ़) यह एक कवक है जो पोधों को बहार से निकलने से पूर्व ही ख़त्म कर देता है. और बहार निकलने के बाद भी पोधों को सूखा देता है. रोपाई केबाद लगने वाले रोग झुलसा  sabar palpalindia.com

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poly house and organik farming

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sabhar : chuthidunia

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Monday, March 07, 2011

खीरा का उत्पादन कैसे करे

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खीरा जिसका वानस्पतिक नाम कुकुमिस सेताइबस है इसका सब्जियों में महत्वपूर्ण स्थान है इसका उपयोग मुख्या रूप से सलाद और अचार के लिए किया जाता है इसके फलो का उपयोग मुख्या रूप से सब्जी और खीर बनाने में किया जाता है |
प्रमुख जातियां - शीतल , प्वईन्सेट ,कल्यानपुर हरा लम्बा , पूना खीरा
बोने का समय - गरमी की फसल फरवरी से मार्च एवम बरसात की फसल जून जुलाई में लगाते है
बीज की मात्रा- एक हेक्टेयर की बुआई के लिए २-२.५ किलोग्राम बीज लगता है
बीज सोधन- बीज को शोधित करने के लिए थिरम या कैप्टान की दवा की ३ ग्राम मात्रा प्रति किलो बीज के लिए पर्याप्त होती है दवा को बीज में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए
बीज की बुआई - खेत में कतार से कतार १.५- २.० मीटर के अंतर पर ३० सेमी चौड़ी नाली बना लेते है इस नाली के दोनों किनारों पर ३० - ४० सेमी की दूरी पर बीज की बुआई करते है एक जगह पर दो बीजो की बुआई करते है फसल ज़माने पर एक पौधा निकाल देते है तथा आवश्कता नुसार नालियों में सिचाई करते है
फलो की तुड़ाई - जब फल कोमल अवं मुलायम हो तभी तोड़ना चाहिए फलो की तुडाई ४-५ दिन के अंतर पर करना चाहिए
उपज- १५० कुंतल प्रति हेक्टेयर

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Wednesday, February 02, 2011

आलू का खेत में ही करे भण्डारण

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जालंदर स्थित केन्द्रीय आलू अनुसन्धान केंद्र ने आलू आलू स्टोरेज की की एक नयी तकनीक विकसित की है, इसके जरिये किसान आलू की फसल को ९०- १०० दिन तक खेत में ही स्टोरेज कर सकेगा इसके लिए किसान को ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ेगा और बाजार में आलू की अच्छी कीमत ले सकेगा | इस तकनीक में किसान आलू की फसल को खुले में पेड़ के नीचे ढेर ९०- १०० दिन तक रख सकेगा सी आई पी सी (क्लोरो आसो प्रोफाएल फिनायेल कार्बामेट नामक रसायन का छिड़काव करना होगा, बाद में इसे धान की पुआल के नीचे स्टोर किया जा सकता है| इसमे छिद्रयुक्त पी वी सी पाईप खड़े किये जाते है , जिनसे इसमे से कार्बन डाई आक्साईड का विसर्जन होता रहे वैज्ञानिको के अनुसार खुले में स्टोर करने पर फसल को बरसात से बचाने के लिए सरकंडे की छत वाले वाले कच्चे मकान या टीन की ऊंची छत वाले कमरे में भी इसे स्टोर कर सकते है | इसमे लागत कम मुनाफा ज्यादा मिलता है

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Tuesday, March 30, 2010

धिगरी मसरूम का घरो में उत्पादन

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मसरूम या खुम्भ एक पौष्टीक तथा खाने योग्य कवक है इसमे २० - ३० % सुलभ प्रोटीन एवं लेयूसीन तथा ट्रिप्टोफेन नमक दुर्लभ अमीनो अम्ल पाए जाते है प्रोटीन के अलावा विटामीन सी व बी काफी मात्रा में होता है इसमे सर्करा व स्टार्च न होने के कारण मदुमेह एवं मोटापे के रोगीयों के लिए बरदान है ब्यवासायीक दृष्टी से भारत में तीन प्रकार के मसरूम का उतपादन किया जाता है जिसमे धीगरी मसरूम या प्लुरोताश कहते है इसे सितम्बर से मद्य अप्रैल में २० - २८ डिगरी सेटीग्रेट तापमान पर उगाया जा सकता है जिसकी आद्रता ८० से ८५ प्रतिसत तक हो इसे सेलुलोलोज युक्त पदार्थ जैसे गेहूं जौ बाजरा मक्का आदि किसी एक का भूसा लकड़ी का बुरादा रदी कागज़ आदि पर उगाया जा सकता है इसमे भूसा को स्वच्छ पानी में रात भर भिगो दे अगली सुबह अतरिक्त पानी निकाल दे इसे फफुदीनासक तथा फर्मीलीन का प्रयोग करके रोगाणु मुक्त करले इसके लिए १० ग्राम बबीस्तीन ५० यम यल फर्मीलीन को १०० लीटर पानी में दाल कार उपचार करने वाले भूसे को डूबायें भूसे को उपचारित करने के बाद ४० -६० ग्राम स्पान प्रती किलो भूसा चार परतों में में मिलाएं यदि ताप मान कम है तो स्पान की मात्रा २५ % तक बड़ा ले इसे छिद्र युक्त पोलीथीनो में जिनका आकार ४५ गुने ३० आकार की थैलियों में भरें दो तिहाई भरने के बाद इसके मुह को बांध दे इन थैलियो को अँधेरे हवादार स्थान या झोपणी में रख दे चार सप्ताह में मसरूम की फसल तैयार हो जाती है पहली कटाई करने के के बाद हल्का पानी का छिड़काव करना चाहिये १०-१२ दीं बाद दोसरी फसल तैयार हो जारी है सामान्यतः १ किलोग्राम मसरूम तैयार करने में २० रुपया का खरचा आता है १०० रू की दर से बेच कर ५ गुना मुनाफा कमाया जासकता है

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